मान लीजिये की आपने बड़ी मेहनत से एक किताब लिखी है जिसे आप अपने एडिटर के पास भेजना चाहते हैं जो उसमें सुझाव देकर आपको भेजेगा फिर आप उसीके माध्यम से इसे पब्लिशर तक पहुंचाएंगे और फिर किताब पब्लिश होगी जिससे आपको इज्जत, दौलत, शोहरत मिलेगी। पर यह हो रहा है इंटरनेट के आगमन से बहुत पहले की दुनिया में.
तब आप के पास क्या तरीके हैं?
[बुद्धिस्ट तरीका] => आप एक संदेशी तोता लेते हैं और उसे अपनी क़िताब रटाकर उड़ा देते हैं. किताब एडिटर के पास पहुंचने से पहले रस्ते में आने वाले हर व्यक्ति के भी कानों में पहुँचती है. पब्लिश तो उसे अब करने की कोई बात नहीं, पर हाँ समाजसेवा का कार्य हो गया क्यूंकि आपका सन्देश लोगों में खुले आम प्रसारित हो गया। जिन लोगों को ये पता है कि ये आपका सन्देश था उनसे आपको सम्मान भी मिला। बाकि बहुत से लोग उसे अपने नाम से भी छपवाते और सुनते रहे.
पर चलिए आप इतने बड़े समाजसेवी नहीं हैं और आप चाहते हैं कि आपका ज्ञान केवल ज्ञानियों के बीच सीमित रहे और आपकी किताब केवल एडिटर और पब्लिशर के पास ही पहुंचे ताकि आप उसे छपवा सकें और उस ज्ञान को पाने के लिए लोगों को दक्षिणा देनी पड़े और आपका विशेष सम्मान करना पड़े तब आप दूसरा तरीका अपनाएंगे।
[संस्कृत तरीका] => इस बार आप अपने बोलते तोते को एक बॉक्ससे में बंद करके एक दूत के हाथों भिजवाते हैं.
चाभी दूत के पास हो सकती है, पर वैसे में ज्ञान दूत को खुद तो मिल ही जायेगा।(सीधा फ़ॉर्म भरना या ईमेल) आपका दूत (ISP) हैकिंग मामले में कितना भरोसेमंद है?
बक्से में नंबर लॉक लगा होगा और वो नंबर आप दूसरे दूत से एडिटर को भिजवा देंगे। पर दूत उड़ नहीं सकता इसलिए देर लगेगी। (जब हर फ़ाइल को आप खुद एंकरिंप्ट करते हैं)
या आप ये करते हैं => आप जेम्स बॉन्ड की तरह तोते को किताब एक विशेष भाषा में रटवाते हैं, संस्कृत में.
अब कोई भी ऐरा-गैरा-नत्थू-खैरा रस्ते में मिले तो वो भले ही उसे सुन सकता है पर समझ नहीं सकता। क्यूंकि आम लोगों की भाषा तो पाली और प्राकृत भाषा है, ऊपर से अगर कोई इस भाषा के मंत्रो को उल्टा सीधा पढ़ दे तो उसके सर में से पूँछ भी निकल सकती है। (ऐसा आपने अफवाह फैला दी है जिसमें आपका VPN-प्रोवाइडर यानी आपका संस्कृत संस्थान बराबर साथ है)
इस तरह आपका ज्ञान अर्थात आपका डाटा संस्कृत द्वारा सुरक्षित रहकर केवल आपके विद्वान समाज में ही प्रेषित होता है जो कि बिलकुल वही काम है जो VPN करता है.
दरअसल आपकी इंटरनेट पे की हुई हर हरकत, चाहे वह इन्कॉग्निटो मोड़ के पीछे से की गयी हो, आपके ISP द्वारा देखि जा सकती है.आपका IP ठीक किसी फोन नंबर की तरह हर उस वेबसाइट, ईमेल रिसीवर, और डाउनलोड प्रोवाइडर को दिखता है जैसे आपके फ़ोन पर कॉलर आईडी या नंबर दिखता है.आम यूजर्स को जरूरत नहीं होती इसलिए वे दूसरों का IP नहीं देखते पर जो आपको विग्यापन भेजना चाहते हैं उन्हें आपकी आर्थिक स्थिति, ख़रीदने की आवृति और किस सामान में आपकी रुचि है ये सब जानने का अविश्वसनीय शौक होता है.
अगर वे आपका IP देख सकते हैं तो आपको ट्रैक भी कर सकते हैं. आप अपना IP और अन्य विवरण यहाँ देख सकते हैं=> (https://www.whatsmyip.org/)
इसलिये VPN का उपयोग आपको हैकिंग, ट्रैकिंग और चिन्हित किए जाने से बचाता है. कोई आपका डाटा हैक करे तो उसे पढ़ नहीं पाएगा, और कोई आपका IP जानना चाहे तो उसे हर 5-10 मिनट में कभी फ्रांस तो कभी बुल्गारिया की IP मिलेगी.
VPN ज्यादातर दुनिया में बिल्कुल भी गैरकानूनी नहीं है बल्कि यह आपकी ऑनलाइन सुरक्षा के लिए वांछित माना जाता है। इसका सीधा संबंध आपके IP Address से होता है. (नार्थ कोरिया और ईराक़ जैसे कुछ अजीबोगरीब देश ही इसे बैन रखे हैं। जब तक भारत में तानाशाही नहीं आ जाती तब तक VPN बैन की गुंजाईश नहीं है)
दरअसल वेबसाइट आपको ट्रैक करते ही हैं क्यूँकि उनका सारा व्यापार विग्यापन से चलता है. इसमें अच्छे साइट्स आपका डाटा और जानकारी ना चुराएं पर आप नहीं जान सकते कौन कितना अच्छा और कितना बुरा है. हालांकि सुरक्षा के लिए SSL सर्टिफिकेट जारी होते हैं, जो कि अलग विषय है, पर वे भी कोई पूर्ण विश्वस्त नहीं होते.
कोई भी विग्यापन एजेंसी आपके बारे में जाने बिना और उसे अपने डाटाबेस में नोट किए बिना आपको वहाँ से गुजरने दे इसकी संभावना केवल 1% से कम है. वह 1% भी उन संस्थाओं ने प्रदान कर रखा है जो इंटरनेट में उपयोगकर्ता के अधिकारों की लड़ाई लड़ रहीं हैं जैसे MOZILLA
मोज़िला दशकों से इंटरनेट उपयोगकर्ताओं के अधिकारों की सुरक्षा में लगी हुई है. यह एक नॉन-प्रॉफिट संस्था है जो किसी व्यापारी को व्यक्तिगत लाभ न देते हुए सारा लाभ या तो मोज़िला के विकास या उसके लिए कार्यरत लोगों में वितरित करने में करती है.
ये देखिये मोज़िला की नीति –
“The Mozilla Foundation will ultimately control the activities of the Mozilla Corporation and will retain its 100 percent ownership of the new subsidiary. Any profits made by the Mozilla Corporation will be invested back into the Mozilla project. There will be no shareholders, no stock options will be issued and no dividends will be paid. The Mozilla Corporation will not be floating on the stock market and it will be impossible for any company to take over or buy a stake in the subsidiary. The Mozilla Foundation will continue to own the Mozilla trademarks and other intellectual property and will license them to the Mozilla Corporation. The Foundation will also continue to govern the source code repository and control who is allowed to check in.”[1]
चूँकि इसका सिक्योरिटी सिस्टम खुला हुआ हुआ है, (अर्थात यह एक ऐसी जेल है जो शहर के बीचोंबीच है और कोई भी कैदी भागेगा तो सरे शहर को दिखेगा), इसलिए इसके द्वारा आपका डाटा दुरूपयोग होने की सम्भावना Google, Apple या Microsoft के मुकाबले न के बराबर है.
अगर आप सारे सिस्टम के लिए VPN डालना चाहें तो उसके। लिए HIDEMYASS[2] जैसा कोई पेड टूल उपयोग कर सकते हैं और अगर एक अच्छा और भरोसेमंद फ्री VPN अपने ब्राउज़र में डालकर अपना सर्फिंग और अन्य डाटा ट्रांसफर सेफ रखना चाहें तो उसके लिए मोज़िला से सहमति प्राप्त यह VPN[3] उपयोग कर सकते हैं.