विमान के बड़े और छोटे होने से महत्वपूर्ण है, विमान की गति I आप ने ख्याल किया होगा कि जब हम स्कूटर या बाइक को काफी तेज़ी से दौडाते हैं, तब अगर एक मक्खी भी हमारे गाल या माथे पर छू जाए तो हमे उसके संवेग (momentum) से पैदा हुए धक्के का एहसास होता है I बदन का कोमल हिस्सा इसको और तेज़ी से महसूस करता है I
इसी तरह विमान भी बहुत तेज़ गति से या तो टेक ऑफ करता है या लैंडिंग करता है I इसका ढांचा (structure) हलके पदार्थों का बना होता है I इतनी तेज़ गति से आती हुई वस्तु पर जब कोई पक्षी टकराता है तब उसका मरना तो निश्चित ही है, विमान के टकराने की जगह पर dent पड़ सकता है, क्रैक (crack) हो सकता है या छेद हो सकता है I बहुत छोटे पक्षियों के टकराने से सिर्फ खून के धब्बे दिखायी देते हैं और हो सकता है कि ढाँचे को कोई नुक्सान न भी हो I लेकिन पक्षिघात के बाद, पूरे विमान का निरीक्षण करना बहुत ज़रूरी हो जाता है I
पक्षी हमेशा सामने से टकराते हैं और विमान में हवा भी सामने से टकरा कर इसे उछाल प्रदान करती है, अतः विमान की efficiency इसके सामने वाले भाग से सबसे अधिक प्रभावित होती है I अब अगर सामने कहीं सुराख हो जाए या crack हो जाए या भारी dent (गड्ढा) हो जाए तो विमान को बिना ठीक किये ले जाना नही हो सकता I
वैसे इन सबसे अधिक खतरनाक होता है अगर पक्षी इंजन से टकराता है या इंजन में घुस जाता है I इंजन आस पास की हवा को खींचता है, जिससे इंजन के भीतर पक्षी के जाने की संभावना सबसे अधिक होती है I इंजन के सारे पुर्जे अप्रत्याशित गति से घूमते हैं और उस गति में यदि आधे इंच की भी कोई चीज़ घुस जाए, तो इंजन भयंकर प्रभावित हो सकता है, यहाँ तक कि फाइट में बंद हो सकता है I ऐसे में कप्तान को विमान वापस ला कर लैंड करना पड़ता है I वैसे एक इंजन के साथ विमान टेक ऑफ या लैंड कर सकता है लेकिन यह इमरजेंसी परिस्थिति होती है I
सबसे ख़तरनाक वह स्थिति होती है जब पक्षियों का एक झुण्ड विमान के सामने आ जाता है और विमान में कई जगह डैमेज हो सकता है I ऐसे में दोनों इंजन या सारे इंजन बंद होने से विमान क्रेश हो सकता है I
सारे चित्र गूगल के सौजन्य से:
आखिर्री चित्र में चिड़ियों का झुण्ड टेक ऑफ के समय देखा जा सकता है और यह तस्वीर डेल्टा एयरलाइन्स की है जिसे टेक ऑफ के तुरत बाद वापस आना पडा।
वैसे चिड़ियों का आ जाना कुछ ऊंचाई पर ही होता है अतः टेक ऑफ और लैंडिंग के समय ही पक्षी टकराने के चांस अधिक होते हैं, बीस / तीस हजार की ऊंचाई से ऊपर इसका कोई खतरा नहीं होता।