आपको भी इंसानी दिमाक के शक्तियो के बारे जरूर जानना चाहिए |

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इस सवाल का में लंबे समय से प्रतीक्षा कर रहा था और आज में इसका विस्तृत उत्तर लिखने जा रहा हूं । उत्तर को पूरा पढ़ने का प्रयास करे

१.इंसान की औकात

आधुनिक विज्ञान आज भी ऐसी बोहोत सारी चीज़े स्पष्ट नहीं कर पाया है , तो जो लोग ये समझते है के विज्ञान को सबकुछ पता है कृपया इस लाइन के नीचे से पढ़ना प्रारंभ करे ।

आज का मनुष्य जिसे वैज्ञानिक homo sapien भी कहते है लगभग कुछ तीन लाख साल पहले विकसित हुआ था ऐसा मेरा विज्ञान कहता है हम सभी homo sapiens है मतलब हमारे वैज्ञानिक भी जैसे sir Albert Einstein ,sir Issac Newton ये सभी भी इसी श्रेणी में आते है।

आप ये जानके चौक जायेंगे कि वैज्ञानिक ,आप , हम और ये सारी मानव सभ्यता ने ऐसा कुछ नहीं किया है जिसे हम कहे सके कि किसी चीज का सृजन(creation) हुआ है हमने सिर्फ प्रकृति में जो चीज पहले से ही उपस्थित थीं उन्हें ही उपयोग में लाके उनमें कुछ बदलाव करके(mainpulate) हमारे उपयोग मैं आ सके ऐसा कुछ करने का हमेशा प्रयास किया है ।

उदाहरणस्वरूप ,

Sir Issac Newton का गुरुत्वाकर्षण का शोध, गुरुत्वाकर्षण तो प्रकृति की ही देन है जिसे sir Issac Newton ने खोजा है उन्होंने गुरुत्वाकर्षण का श्रुजन नहीं किया है ।

इसी प्रकार से sir Albert Einstein ने E=mc^2 का सिद्धांत दिया जो एक प्रकृति का नियम हैं , प्रकृति में पहले से ही मौजूद था ये नियम।

तो जो विज्ञान को ईश्वर के उपर मानता है वह एक बार जरूर ध्यान में रखे कि मेरे आधुनिक विज्ञान ने आजतक किसी चीज का सृजन नहीं किया ,जो प्रकृति में मौजूद था वहीं किसीने खोज निकाला

पर हम sir Albert Einstein ,sir Issac Newton जैसे महान व्यक्तित्व के धनी लोगों को नहीं भूल सकते हमारी मानव सभ्यता इन्हीं जैसे लोगो के कारण अबतक टिकी हुई है नहीं तो कब कि विलुप्त हो जाती ।वैसे मैं एक विज्ञान का विद्यार्थी हूं और sir Albert Einstein मेरे प्रेरणास्तरोत है

और सृजन ना करने वाली बात विज्ञान बिना किसी संकोच के मानता है ।

*इंसान अबतक सृजन करने के काबिल नहीं बना *

ऊपर की लाइन मनुष्य की औकात दिखाती है

2.सृजन के बारे में विज्ञान

विज्ञान कहता है कि अगर मनुष्य अपने दिमाग का ३०% उपयोग करके तो वे अपने आप के शरीर को नियंत्रित कर सकता है मतलब दिल धड़कना ,रक्त संचार होना जैसी कहीं चीजे हम नियंत्रित कर सकते है । कभी भी दिल की धड़कन रोक सकते है  ।कभी भी जिराफ जितने लंबे और अनु जितना छोटा होना । कुछ याद आ रहा है क्या ,ये बाते रामायण काल में हमारे बजरंगबली करते थे ।पर्वत उठाने के लिए बड़ा होना । राक्षसी का वध करने लिए छोटा होना , तो विज्ञान कि नजरिए से बजरंगबली ने अपने ३०% दिमाग का उपयोग करना सीख लिया था

और अगर ५०% करले तो अपने आस पास के वातावरण को नियंत्रित कर सकता है मतलब चिजो को इधर से उधर उड़ाना । प्रकृति को नियंत्रित कर सकता है जैसे वर्षा होना, धूप का कम या ज्यादा होना।रुकिए रुकिए  तो फिर भगवान श्री कृष्णा ने भी अपने दिमाग का ५०% उपयोग किया होगा ,आपको अगर याद ना हो तो श्री कृष्ण ने महाभारत के युद्ध की लिए कुछ ज्यादा समय मिल सके इसलिए सूर्य नारायण को डूबने नहीं दिया था इसका अर्थ श्री कृष्ण का अपने आस पास की प्रकृति पर पूरा नियंत्रण था ,जो हमारा भी ही सकता है अगर हम सिर्फ ५०% उपयोग करले तोऔर अगर १००% उपयोग करले तो हम सारे ब्रम्हांड को भी नियंत्रित कर सकते है ।एक बार सोच के तो देखिए पूरा ब्रम्हांड

पर ये सारी बाते होने के लिए आपको अपने दिमाग पर १००% नियंत्रण होना चाहिए अब दिमाग को कैसे नियंत्रित करे ,योग करके क्योंकि योग (कठोर योग ) किया ही इसलिए जाता है के मानव मन, इन्द्रिया और दिमाग नियंत्रित हो सके योग का महत्व तो प्रभु ने भगवद गीता के अध्याय क्रमांक ६ में ही दे दिया है । वास्तव में योग एक स्वयं के शरीर को नियंत्रित करके देवत्व प्राप्त करने की प्रक्रिया है।

मान लीजिए आपने नियंत्रित कर भी लिया तो नियंत्रित करने के बाद आपके मन में से अपने आप ही मानवीय ईच्छा , द्वेश ,मोह सब छूट जाएगा और आप परम सिद्धि याने देव बन जाएगा

अगर

नियंत्रित करने के बाद भी मानवीय इच्छा नहीं गई तो आप राक्षस माने जाओगे और अपने नियंत्रित दिमाग की शक्तियो से उत्पात मचाओगे और आपका संहार करने के लिए देव अवतार लेंगे ।

पर हम अभी इन सब चीजों से बहुत दूर है खासकर आधुनिक विज्ञान । अभी तो हमने हमारे शरीर के रहस्य को सुलझाना आरंभ किया है अभी तोह ९५% समुद्री खोज बाकी है अभी तोह इंसान पैदा हुआ है आप देखना अगर आधुनिक विज्ञान और शास्त्र के बीच जंग हुई तो विनाश होगा पर अगर शास्त्र में लिखित बातो को आधुनिक विज्ञान का साथ मिल जाए तो सृजन (creation)

होने के आसार बोहोत ज्यादा है ।

इसलिए हम ईश्वर को सृजनकर्ता कहते है।

नमस्कर: