एक अच्छा राजनेता वह नहीं होता जो लोगो को खुश करने के लिए उन्हें मुफ्त (फ़्रीबीज) बांट ता रहे, बल्कि अच्छा राजनेता वह है, जो ऐसे निर्णय ले जिससे लंबे समय के लिए लोगो को लाभ मिले।
मोदी जब 2002 में गुजरात के मुख्यमंत्री बने, उसके पहले तक ग्रामीण इलाकों में बिजली की समस्या थी । किसानों को बिजली मुफ्त दी जाती थी। यह बिजली की आपूर्ति बहुत थोड़े समय के लिए होती थी। इस आपूर्ति के उतार चढ़ाव के कारण किसान के उपकरण कई बार खराब हो जाते थे। अधिकारी अमीर किसानों को आपूर्ति से बिजली चुराने देते थे।
इस तरह बिजली की आपूर्ति में अनेक खामियां थी, परन्तु किसानों को राजनीति में एक बड़ा वोट बैंक समझा जाता था। इस लिए कोई इस आपूर्ति में कोई बदलाव नहीं करना चाहता था।
मोदी जब सत्ता में आए तो उन्होंने इस सब को बदलने की योजना बनाई। इसके लिए उन्होंने ज्योती ग्राम योजना शुरू की।
यह योजना पॉलिटिकल पंडितो को सकते में डाल सकती थी। उन्होंने यह निर्णय लिया कि चूंकि बिजली मूल्यवान है, इसलिए लोगो को इसके लिए पैसे खर्च करने होंगे – किसानों को भी। पूरे 24 घंटे जर्जर आपूर्ति की जगह 8 घंटे की एकदम दुरुस्त बिजली की आपूर्ति दी जाएगी। 220 वोल्ट की जगह 400 वोल्ट प्रयोग किया जाएगा जिससे खेती और पम्प के शक्तिशाली उपकरण चल सके।
शुरुआत में इस योजना का काफी विरोध हुआ, यहां तक की संघ परिवार के लोगों ने भी इसका विरोध किया। लेकिन मोदी अडिग रहे।
मीटर वाली बिजली ने जल्द ही संदेहवादियो को गलत साबित कर दिया। किसानों ने देखा कि अधिक वोल्ट की बिजली से यंत्रों को नुक्सान नहीं हो रहा था, जिससे मरम्मत के खर्च में कमी आ गई थी। आपूर्ति लगातार थी, वह भी कठोरता से तय समय सारणी के अनुसार। इससे किसानों को फायदा हुआ।
विश्वसनीय बिजली आपूर्ति से अनेक फायदे हुए। दर्जी अब नए बिजली शुल्क के बावजूद सिलाई मशीन में बिजली की मोटर लगाकर अधिक लाभ कमा रहे थे। हीरो की पॉलिश जैसे नए व्यवसाय शुरू हुए। पहले से विद्यमान व्यवसायों का मुनाफा बड़ गया।
कक्षा में बच्चे अब अधिक एकाग्रता से पड़ सके थे क्योंकि बिजली के पंखों से ठंडक हो गई , जबकि पहले असहनीय गर्मी होती थी। ग्रामीण क्षेत्रों में बिजली से शहरों की ओर पलायन कम हुआ। पीने के पानी और सड़कों पर रोशनी की स्थिति बेहतर हुई।
मोदी कहते है, ” गुजरात स्टेट इलेक्ट्रिक कॉर्पोरेशन लिमिटेड ने सिर्फ दो वर्षों में ही अपना अधोसरंचना खर्च निकाल लिया। जब मैंने काम संभाला था, तो मेरी बिजली कंपनी को 2500 करोड़ का सालाना नुकसान होता था। हमने कोई शुल्क नहीं बढ़ाया। अब हमारे पास भारत में सबसे ज्यादा विद्युत उत्पादन है। बहुत से राज्य है जहां 5000 मेगावाट बिजली भी नहीं है। हमारे राज्य के सिर्फ एक जिले में हमने 10,000 मेगावाट बिजली का उत्पादन किया है – एक जिले में।
तुलनात्मक रूप से पाकिस्तान में उपयोग होने वाली बिजली उत्पादन 13000 मेगावाट है। मतलब गुजरात के एक जिला पूरे पाकिस्तान जितनी ही बिजली का उत्पादन करता है।