बर्लिन की दीवार किस लिए प्रसिद्ध है !

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‘बर्लिन की दीवार’ किस लिए प्रसिद्ध है? विश्व राजनीति में इसकी क्या प्रासंगिकता है?

 

बर्लिन की दीवार पश्चिमी बर्लिन और जर्मन लकतंतिक गणराज्य के बीच एक अवरोध थी जिसने 28 साल तक बर्लिन शहर को पूर्वी और पश्चिमी टुकड़ों में विभाजित करके रखा। इसका निर्माण 13 अगस्त 1961 को शुरु हुआ और 9  nov 1989 के बाद के सप्ताहों में इसे तोड़ दिया गया। बर्लिन की दीवार अंदरूनी जर्मन सीमा का सबसे प्रमुख भाग थी और शीत युद्ध का प्रमुख प्रतीक थी।

द्वितीय विश्व युद्ध के ख़त्म होने के बाद बर्लिन शहर की अजीबोगरीब स्थिति बन गई थी. ये टापू जैसे एक शहर में तब्दील हो गया था जिस पर चार मुल्कों का कब्ज़ा था. हर एक मुल्क ने बर्लिन को अपने-अपने सेक्टरों में बांट रखा था. ये चारों मुल्क थे सोवियत संघ, अमरीका, ब्रिटेन और फ्रांस. साल 1948 में एक अलग देश वेस्ट जर्मनी को अस्तित्व में लाने की कोशिशें शुरू हुईं और स्टालिन को इस पर एतराज़ था. स्टालिन ने बदला लेने के लिए उसके सेक्टर से लगने वाले पश्चिमी बर्लिन के हिस्सों को वेस्ट जर्मनी से काट दिया.

बर्लिन की दीवार बनने से यह प्रवास बहुत कम हो गया – 1949 और 1962 के बीच में जहाँ 25 लाख लोगों ने प्रवास किया वहीं 1962 और 1989 के बीच केवल 5,000 लोगों ने। लेकिन इस दीवार का बनना समाजवादी गुट के प्रचार तंत्र के लिए बहुत बुरा साबित हुआ। पश्चिम के लोगों के लिए यह समाजवादी अत्याचार का प्रतीक बन गई, खास तौर पर जब बहुत से लोगों को सीमा पार करते हुए गोली मार दी गई। बहुत से लोगों ने सीमा पार करने के अनोखे तरीके खोजे – सुरंग बनाकर, गरम हवा के गुब्बारों से, दीवार के ऊपर गुजरती तारों पर खिसककर, या तेज रफ्तार गाड़ियों से सड़क अवरोधों को तोड़ते हुए।

 

1980 के दशक में सोवियत आधिपत्य के पतन होने से पूर्वी जर्मनी में राजनैतिक उदारीकरण शुरू हुआ और सीमा नियमों को ढीला किया गया। इससे पूर्वी जर्मनी में बहुत से प्रदर्शन हुए और अंततः सरकार का पतन हुआ। 9 नवम्बर 1989 को घोषणा की गई कि सीमा पर आवागमन पर से रोक हटा दी गई है। पूर्वी और पश्चिमा बर्लिन दोनों ओर से लोगों के बड़े बड़े समूह बर्लिन की दीवार को पारकर एक-दूसरे से मिले। अगले कुछ सप्ताहों में उल्लास का माहौल रहा और लोग धीरे-धीरे दीवार के टुकड़े तोड़कर यादगार के लिए ले गए। बाद में बड़े उपकरणों का प्रयोग करके इसे ढहा दिया गया।