ये वास्तविक घटना मेरे एक डॉक्टर दोस्त की है जिन्होंने ये जानकारी मेरे साथ शेयर की .और आज मैं आपलोगो के साथ इसे शेयर करने जा रहा हु.
पढ़िए उनके अपने शब्दों में >>
कोरोना वायरस भारत में भी अब अपना विकराल रूप दिखाना शुरू कर दिया है . आज मैं अपना कोरोना अनुभव आपलोगों से शेयर कर रही हूँ. सोचा था भारत इस महामारी से बच जायेगा और मुझे अपना अनुभव आपलोगों से शेयर करने की जरुरत नहीं पड़ेगी. पर अफ़सोस ऐसा नहीं हुआ .
हमारे घर में पहले मेरे पति को कोरोना हुआ . हॉस्पिटल में एक डॉक्टर को कोरोना से बचना आसान नहीं है इसलिए मुझे पता था कि कोरोना मेरे घर आयेगा ही. पति को बृहस्पतिवार को हुआ , बेटा को रविवार को और मुझे सोमवार को …और ऐसे हम तीनों कोरोना के चपेट में आ गये. बेटी को कुछ नहीं हुआ .
शुरुआती दिनों में सब अच्छा चला. बहुत दिनों बाद पति को काम से छुट्टी मिली थी तो पूरा परिवार किचन में खाना बनाने , मोबाइल और tv देखने में समय बिता रहे थे . हमें बुख़ार और सरदर्द के लिये सिर्फ पैरसीटमॉल लेना पड़ रहा था .
मैं तीन दिन में ठीक हो गई . पर सातवें दिन मेरा सूंघने और खाने का टेस्ट चला गया . क़रीब एक महीने बाद यह वापस आ गया पर आज भी कुछ चीजों का टेस्ट और स्मेल नहीं आता.
बेटा को बहुत सारे सिम्प्टम आयें जैसे कि बुख़ार , सरदर्द, सोर थ्रोट, डाईरिया और उल्टी. यह सब क़रीब 12 दिनों तक चला .
सबसे बुरा हाल मेरे पति का हुआ. शुरू में उन्हें हल्की खाँसी और हल्का बुख़ार आता था …पर सात दिन बाद खाँसी बढ़ गई , बुख़ार भी तेज आने लगा.उन्हें काढ़ा, ड्राई सिरप, हल्दिवाला दूध सबकुछ देने लगी कि खाँसी कम हो जाये, पर खाँसी और बढ़ने लगी . दसवाँ दिन वे कुछ बोल ही नहीं पाते थे . सिर्फ इशारों से कुछ माँगते थे . खाँसने से जब चेस्ट में दर्द होनेलगा तो उस दिन बेटा को कहा कि ऐंबुलेंस बुला दो (यही वह दिन था जिस दिन uk के प्रधानमंत्री भी साँस में तकलीफ़ होने से हॉस्पिटल में भर्ती हुये थे . उनका भी इस इन्फ़ेक्शन का दसवाँ दिन था . उन्हें ऑक्सिजन देने की ज़रूरत पड़ी थी ) .ऐंबुलेंस आया और उनका ऑक्सिजन लेवल चेक किया . सब कुछ ठीक था ,पर उन्होंने उनसे कहा कि आप डॉक्टर हो इसलिए आप हमसे बेहतर जानते हो कि आपको हॉस्पिटल जाना चाहिये या नहीं . मेरे पति ने कहा हॉस्पिटल ले चलो मैं अपने चेस्ट का x ray देखना चाहता हूँ कि वायरस ने मेरे फेफड़े को इन्फ़ेक्ट कर दिया क्या. …. वही हुआ जिसका हमें डर था , वायरस ने दायें फेफड़े को हल्का सा टच कर दिया था . उस दिन वे दो घंटे हॉस्पिटल में रहने के बाद घर वापस आ गये.
वायरल निमोनिया का कोई ईलाज नहीं होता . बस गर्म खाना खाओ , गर्म पानी पियो और गर्म पानी से नहाओ. बस यही ईलाज है . यह सब करने लगी पर उनका खाँसी बढ़ता ही जा रहा था और तेज बुख़ार भी दिन में चार बार आ रहा था .फिर ज़बरदस्ती मैं उन्हें ऐंटीबायआटिक देने लगी . उन्होंने ने कहा कि वायरल में ऐंटीबायआटिक काम नहीं करता ..पर मैं नहीं मानी . उसके बावजूद उनकी तबियत बिगड़ते ही जा रही थी .
14 वे दिन , तेज बुख़ार के कारण 4 बजे जग गये. बेचैन दिख रहे थे .मुझसे कहा भजन लगा दो . मैंने लगा दिया पर उनकी बेचैनी कम नहीं हुई . छः बजे उल्टी करने लगे और मुझसे कहा हॉस्पिटल ले चलो. बेटे को जगाने गई तो देखा वह भी बाथरूम में बैठकर उल्टी कर रहा था . फिर भी वह मेरे साथ हॉस्पिटल जाने के लिये तैयार हो गया .
पति को हॉस्पिटल ले गई . इस बीमारी का सबसे दुखदाई पार्ट यही होता है कि आप मरीज़ को हॉस्पिटल में छोड़ सकते हैं , उसके साथ रह नहीं सकते. मैं लौट आयी. उस दिन पहली बार रोया. बेटा ने रोते देख लिया और मुझे समझाया “माँ, पापा को यह बीमारी काम करते हुये पकड़ा है . तुम्हें उनपर गर्व करना चाहिये. उन्हें कुछ नहीं होगा . पापा मेरे फ़ाइटर हैं “
अब तक मैंने अपने घर वालों को नहीं बताया था . सिर्फ मेरे भैया और मेरे पति के भैया को ही मालूम था . मुझे लगा भगवान मेरी नहीं सुन रहे तो शायद माँ की जरूर सुनेंगे. दोनों माँ को बता दिया . उस दिन मेरे पति 6घंटे हॉस्पिटल में रहे और फिर मैं उन्हें वापस ले आयी.इस बार की x ray रिपोर्ट में वायरस ने बायें फेफड़े को भी इंफ़ेक्ट कर दिया था . उसके बाद मेरे पति ने खुद अपनी दवाई लिखी – कोडिन,ऐंटीबायआटिक और उल्टी की दवाई .
15 वे दिन भी हालत अच्छी नहीं थी ,पर दवा के कारण उल्टी बंद हो गई .16, 17 दिन बुख़ार आना कम हुआ पर सरदर्द बहुत था .18 वे दिन बुख़ार नहीं आया. उस दिन से वे पहले की तरह बोलने लग गये . और इस तरह से कोरोना का ग्रहण मेरे घर से टला.
यह सब मैंने इतने डिटेल में इसलिए लिखा है ताकि आपलोग जान सके कि यह बीमारी कैसे बिहेव करती है. साँस में तकलीफ़ हो या बेचैनी महसूस हो तो बिना समय गँवाये तुरंत अस्पताल जाये. दवाई पहले से ना लें. जैसे कि मैंने फ़ोर्स करके पति को ऐंटीबायआटिक दिया पर उसका कोई असर नहीं हुआ . उन्होंने अपने से ऐंटीबायआटिक तब लिया जब उल्टी में कफ आने लगा. Hydroxycholoroquine उन मरीज़ को दिया जा रहा है जो वेंटिलेटर पर जा रहे हैं . इसलिए बिना मतलब दवाइयाँ ना खाये . अपने इम्यून सिस्टम को बढ़ाने के लिये vit c, d और multivitamin with zinc लें.
ऐसा बिल्कुल ना सोचे कि आपको कोई बीमारी नहीं है तो कोरोना आपको कोई नुक़सान नहीं करेगा. मेरे पति को कोई बीमारी नहीं है फिर भी कोरोना ने उन्हें बहुत परेशान किया . अगर आपको डायबेटिज या हाई ब्लड प्रेशर जैसी बीमारियाँ है तो अपने आप को घर में बंद कर लें. इंग्लैंड में ऐसे लोगों को तीन महीने घर से निकलने से मना किया गया है .
आप सब अपना ख्याल रखें. डरे नहीं, सावधानी रखें. जल्द ही इस बीमारी पर हम विजय पायेंगे. भगवान पर भरोसा रखें