अनुमान लगाएं कि आप पेटीएम से खरीदारी कर रहे हैं और अचानक आपको 8,000 रुपये के एक स्मार्टफोन पर 1,500 रुपये का कैशबैक नजर आता है। यानी आपको ये नया फोन सिर्फ 6,500 रुपये में मिल सकता है। सोचें कि ऐसा होने लगा तो कितने लोग ऐमजॉन और फ्लिपकार्ट को छोड़ कर पेटीएम से खरीदारी करने लगेंगे। सबको कैशबैक का लालच होगा।
कुछ ऐसा ही हुआ इस बीते दशक में। 2009 में बिटकॉइन नामक नई डिजिटल करेंसी (डिजिटल मुद्रा) का निर्माण किया गया। इस नई करेंसी का बैंक और सरकार के साथ कोई नाता नहीं था। आप किसे बिटकॉइन दे रहे हैं और किससे ले रहे हैं, ये जानकारी सिर्फ आप और सामने वाले व्यक्ति के पास होगी।
(बिटकॉइन क्या है: What is Bitcoin? Bitcoin and Cryptocurrency explained)
आने वाले वर्षों में बिटकॉइन ने जबरदस्त प्रसिद्धि और कीमत हासिल की। 8-9 सालों पहले एक बिटकॉइन की कीमत 100-200 रुपये होती थी, 2018 तक एक बिटकॉइन की कीमत 9,00,000 रुपये तक छू गई! जिस व्यक्ति ने ऐसे ही कुछ बिटकॉइन खरीद रखे थे, वो अचानक बेहद अमीर हो गया!
भारत में तो बिटकॉइन कभी इतना प्रसिद्ध नहीं था, लेकिन पश्चिमी दुनिया और अन्य हिस्सों में (पूर्व एशिया भी) बिटकॉइन की मांग बहुत ज्यादा हो गई।
चूंकि बिटकॉइन के लेन-देन में बैंक और सरकार का हाथ नहीं है और पहचान का पता नहीं चलता, गैर-कानूनी काम करने वालों ने भी बिटकॉइन को हथियार बना लिया। आज एक बिटकॉइन की कीमत 8,37,000 रुपये है।
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अब सुनें कि इसमें अजीब बात क्या है। विश्व की पहली और सबसे प्रसिद्ध डिजिटल मुद्रा बनाकर इंटरनेट पर क्रांति लाने वाले व्यक्ति (या समूह) की पहचान आज तक किसी को नहीं पता है!
2009 में “सातोशी नाकामोतो” नाम के एक व्यक्ति या समूह ने बिटकॉइन का निर्माण किया था। पहले सातोशी को एक जापानी व्यक्ति माना गया था। 2012 में बिना अपनी पहचान बताए सातोशी ने संदेश दिया कि वह 37 वर्ष का एक जापानी पुरुष था, लेकिन लोग उसे जापानी नहीं मानते क्योंकि सातोशी की अंग्रेजी ब्रिटिश लोगों जैसी है और बिटकॉइन के निर्माण में भी उसने जापानी भाषा का कहीं भी इस्तेमाल नहीं किया था।
ऐसे और भी संकेत हैं जो सातोशी को जापानी नहीं बताते। आज तक कम से कम 10 लोगों को सातोशी माना गया है जो आखिर गलत साबित हुआ। इसके अलावा अनेकों अन्य लोगों ने सातोशी होने का दावा किया लेकिन आज तक सातोशी नाकामोतो की वास्तविक पहचान एक रहस्य है।
ऐसा माना गया है कि सातोशी के पास बिटकॉइन के रूप में कम से कम 15,000 करोड़ रुपयों (2 बिलियन डॉलरों) की संपत्ति हो सकती है। यकीन नहीं होता, जिसने पहचान छुपाने रखने वाली डिजिटल मुद्रा का निर्माण किया, उसने स्वयं भी अज्ञात रहना ही ठीक समझा!