क्या यह सच है कि गर्म पानी पीने से और गर्म पानी की भाप मुंह के अन्दर लेने से करोना वायरस खत्म होता है ?

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ऐसा कुछ भी नहीं है। यह केवल एक मिथक है। जब से करोना प्रकोप शुरू हुआ है तमाम अटकलें लगाई जा रही है कि यह गर्मी से खत्म होता है। यह गर्म जलवायु में यह नहीं रह सकता। जब मार्च में यह शुरू हुआ तो यहां तक भी कहा गया कि ग्रीष्म ऋतु में यह वायरस शिथिल पड़ जाएगा। पर अब सितंबर आ गया है। चिलचिलाती गर्मी का मौसम आकर चला गया। तब भी इस वायरस के केस में लगातार वृद्धि होती रही।

अब तक इस बात का कोई प्रमाणिक सबूत तो नहीं मिल पाया है कि करोना वायरस किस तापमान पर निष्क्रिय हो जाते हैं पर विश्व स्वास्थ्य संगठन ने अपनी लैबोरेटरी में इस पर प्रयोग किए हैं। इसमें से यह तथ्य सामने आए हैं कि यह वायरस 56°C पर 15 मिनट में मर जाता है।अब वायरस या बैक्टीरिया की संख्या में बढ़त या ह्रास logirithmic scale पर होता है। मतलब 15 मिनट में सब नहीं मरेंगे बल्कि 10000 PFU की दर से कम होंगे।

लैब की परिस्थितियों में ये बहुत अलग तरीके से काम करता है और हो सकता है दैनिक व्यहवारिक जीवन में वैसा काम ना करे। अब गर्म पानी और भाप की बात करते हैं।

56°C का गर्म पानी पी कर अपना मुंह जलाने का कोई मतलब नहीं है। इतना गर्म पानी जब आपके मुंह के संपर्क में आएगा तो उष्मा की अदल बदल से वो आपके मुंह में ही ठंडा हो कर कम तापमान का हो जाएगा। इसलिए इस विधि में कोई तर्क नहीं है।
जहां तक वाष्प लेने की बात है उसके साथ भी यही समस्या है। शुद्ध वाष्प 100°C पर प्राप्त होता है और शुद्ध वाष्प प्रति ग्राम पानी में 540 कैलोरी अधिक ऊष्मा लिए रहता है। ये आपको गर्म पानी से भी बुरी तरह जलाएगा। अगर आप केवल गर्म पानी से उठते हुए वाष्प को लेने की बात कर रहे हैं तो वो भी आपके नाक में जाते ही ठंडा हो जाएगा। इसका भी कोई मतलब नहीं है।

कुछ लोगों को मैंने ये करे देखा भी है। पर वो आजतक इसका तार्किक कारण नहीं बता पाए। कोई बेहतर इनसाइट दे सके तो उसका स्वागत है।

धन्यवाद।