आचार्य चाणक्य ने संस्कृत के इस श्लोक के जरिए ये बात समझाने की कोशिश की है.
अर्थनाशं मनस्तापं गृहे दुश्चरितानि च।
वञ्चनं चापमानं च मतिमान्न प्रकाशयेत् ॥
1.भूलकर भी किसी को ना बताएं धन के नुकसान के बारे में- अगर आपका धन संबंधी कोई भी नुकसान हुआ है तो भूलकर भी उसकी चर्चा किसी के साथ ना करें. इसे राज ही रखना चाहिए. क्योंकि पैसे के नुकसान होने पर आपकी मदद कोई नहीं करेगा इसलिए हमेशा इस बात की कोशिश करनी चाहिए कि अपने पैसों के नुकसान की चर्चा अन्य से भूलकर भी नहीं करना चाहिए. इस बात का हमेशा ध्यान रखें कि आपको अपनी परेशानियों को दूसरों के साथ शेयर करने में जल्दबाजी नहीं करनी चाहिए. हमें इससे बचना चाहिए, क्योंकि लोग आपके दुखों का मजाक भी बना सकते हैं.
2. पत्नी के बारे में नेगेटिव बातें दूसरों से ना करें शेयर– हर इंसान में कुछ पॉजिटिव और कुछ नेगेटिव बातें होती हैं. पुरुषों को अपने घर की बातें दूसरों को नहीं बतानी चाहिए खासकर अपनी पत्नी के चरित्र के बारे में . अगर आप अपनी पत्नी की नेगेटिव बातों का जिक्र किसी दूसरे इंसान से करते हैं तो आप अपना ही मजाक बना रहे होते हैं. ऐसा करने वाले का लोग अक्सर मजाक बनाते हैं जिससे भविष्य में आपको परेशानी उठानी पड़ सकती हैं.
3. कभी अपने अपमान की चर्चा ना करें- कई बार आप अपने साथ हुए अपमान की चर्चा दूसरों से कर बैठते हैं. ऐसा करना गलत है. खासकर अगर किसी नीच इंसान ने आपका अपमान किया हो तो इसकी चर्चा भूलकर भी किसी से ना करें. इंसान को अपने मान और अपमान में हमेशा समान रहना चाहिए, ऐसा करना कठिन है लेकिन कोशिश जरूर करनी चाहिए. आपको लगता है कि आप चर्चा कर अपना दुख कम करने की कोशिश कर रहे हैं लेकिन सुनने वाला व्यक्ति आपके दुख को कम करने की बजाय बढ़ा भी सकता है. अगर आपकी बात सुनने वाला आपके साथ हुए अपमान की चर्चा किसी और शख्स के साथ कर दे तो इससे अपमान में और वृद्धि हो जाती है.
4. मन के दुख की ना करें चर्चा- अगर आप अपने दुख तकलीफों को किसी के सामने प्रकट करतें हैं तो सुनने वाला व्यक्ति आपको कमजोर समझकर आपका अनुचित फायदा उठा सकता है. आप दूसरों से अपने दिल की बात कह रहें हैं लेकिन हो सकता है कि वह शख्स इसका मजाक बनाकर इसका जिक्र औरों के साथ करे. इसलिए अपने मन के दुख को व्यक्त करने से बचना चाहिए.