2000 साल पुराने मंदिर में Cycle के चित्र की सच्चाई क्या है, क्या Cycle का अविष्कार 2000 साल पहले ही भारत कर चुका था?

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ये आकृति 2000 साल पुरानी बताकर दावा किया जा रहा है कि भारत ने 2000 साल पहले ही Cycle का आविष्कार कर लिया था…

वास्तव में किसी सूतिये ने Viewers के चक्कर में इसके ऊपर एक Video youtube पे डाली थी…

उसके बाद सूतिया War शुरू हो गया “तू सूतिया तो मै तुझसे बड़ा सूतिया”

सभी कट्टर झट्टर लोग Social Media पर पिले पड़े हैं इस फोटो को शेयर करने और cycle पर अपनी दावेदारी ठोकने में…

बड़े बड़े सूतिये दद्दे लोग भी बड़े बड़े लेख लिखने में लगे हैं कि भईया अब हम ही Cycle को पूर्ण भारतीय घोषित करके ही मानेंगे…

अब दद्दा लोगों ने लिखा है तो चेले चपाटे कैसे पीछे रहेंगे भाई वो Copy-Paste करने में पिले पड़े हैं…

Facebook, Whatsapp, Twitter तो छोड़िए बड़े बड़े कट्टर झट्टरों ने इसके ऊपर blog तक लिख डाले हैं…

सच बताऊं तो कई बार ऐसे सूतियों की वजह से भारतीयों को शर्मिंदा होना पड़ा है, बिना किसी Research के कुछ भी डालते फिरते हैं और “सबसे पहले हम” वाले इसे Share करते रहते हैं…

अभी मिस्र में खुदाई में कुछ मूर्तियां मिलीं बस हम भारतीयों के लिए इतना ही काफी था, चारों तरफ गाने लगे कि “मिस्र में हिन्दू मंदिर मिला”, “मिस्र में हिन्दू मंदिर मिला” अभी खोजकर्ताओं को ही उन मूर्तियों की ठीक जानकारी नहीं थी और हम यहाँ हिन्दू मंदिर घोषित कर चुके थे…

कुछ सालों पहले एक गदा जिसे क्रेन ने उठाया हुआ था, उसकी फोटो ये कह के शेयर की जा रही थी कि श्रीलंका में खुदाई के दौरान हनुमान जी की गदा मिली है, लोगों ने तो उस फ़ोटो का Print-out निकलवा के मन्दिर में भी रख दिया था…
लेकिन वो फ़ोटो कहीं पर भगवान हनुमान जी की विशालकाय मूर्ति के निर्माण के समय की थी…

इस Cycle वाली फ़ोटो के साथ भी कुछ ऐसा है…
मंदिर तो 2000 साल पुराना ही है, लेकिन ये cycle की आकृति 1992 में मंदिर के Renovation के दौरान शिल्पकार द्वारा खम्बे/दीवार पर उकेरी गई थी…

कृपया कुछ भी शेयर करने से पहले उसकी अच्छी तरीके जाँच पड़ताल ज़रूर किया करें नहीं तो चंद सूतियों की वजह से पूरे भारतीय समाज की शर्मिंदा होना पड़ता है…