आशा पारेख ने कहा मोटी होकर शादियों में वेस्टर्न कपड़े पहनती है

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बात करें तो नई दिल्ली जेएनएन आशा पारेख करीबन 60 से 70 के दशक की जानी-मानी अभिनेत्री हैं बात करें तो गोवा में आयोजित हुए 53 में इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल ऑफ इंडिया मैं वह दिखाई दे चुकी है इसी दौरान बात कीजिए तो दिक्कत अभिनेता अपने जाल में कैसे अभिनेत्रियां सूट करती थी और उन्हें किन किन मुश्किलों से गुजरना पड़ता था इस इवेंट में आशा इंडिया वेल्डिंग के महिलाओं के वेस्टर्न कपड़ों के लिए कल्चर पर भी उठाया है सवाल साथ ही में मोटी लड़कियों के वेस्टर्न कपड़े पहनने को लेकर के भी अपनी राय दी है इस फिल्म फेस्टिवल में आशा ने यह भी बताया है कि समय के साथ सब भी बदल चुका है।

बात की जाए तो हिंदुस्तान टाइम्स में छपी रिपोर्ट के मुताबिक 53 इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल ऑफ इंडिया में शादियों में वेस्टर्न ड्रेस पहनने पर आशा ने यह कहा है कि सब कुछ बदल चुका है अब जिस तरह की फिल्में बन रही है मुझे नहीं पता लेकिन हम बहुत ही ज्यादा वेस्टर्न कल्चर को अपना रहे हैं गाउन पहनकर लड़कियां शादियों में जा रही हैं अरे भैया हमारी घाघरा चोली साड़ियां और कल्चर कहां गया आप वह पहनो ना आपकी बात तो आगे बढ़ते हुए आसान हां कह दिया कि हम वह सब क्यों नहीं पहनते हैं वहां हीरोइन को स्क्रीन पर देखते हैं और उन्हें स्क्रीन पर देखकर वह जो कपड़े पहन रहे हैं वही कपड़े पहनते हो या पतले व्हाट्सएप पहनते हैं इसी कपड़े को।

इसी दौरान बाद उन्होंने यह किया कि यह जो वेस्टर्न हो रहा है मुझे यह देखकर बहुत ज्यादा दुख भी होता है हमारी इतनी अच्छी संस्कृति नृत्य और संगीत है कि हम इसे संस्कृति में वापस ला सकते हैं एक्ट्रेस ने इस इवेंट में सिर्फ वेस्टर्न कल्चर को लेकर के बाद नहीं की है बल्कि दिलीप कुमार को नापसंद करने को लेकर भी बोला है कुछ उन्होंने कहा है कि चार-पांच साल पहले किसी मीडिया के जनरल मैंने लिखा था कि दिलीप कुमार के साथ इसलिए काम नहीं कर रही क्योंकि मैं उन्हें पसंद नहीं करती मैं उन्हें पसंद करती थी और हमेशा से उनके साथ काम भी कर रही हैं एक फिल्म की जबरदस्त जो मैंने उनके साथ भी की थी हम उस फिल्म में साथ काम करने वाले थे लेकिन मैं लगी थी क्योंकि वह फिल्म हो गई थी सेल।

अभिनेत्री की फिल्म की बात की जाए तो करीबन 1952 में फिल्म मां से बॉलीवुड में वह कदम रखी थी इसके बाद उन्होंने आसमान धोबी डॉक्टर श्री चैतन्य महाप्रभु बाप बेटा जैसी फिल्मों में काम किया हुआ है इसके बाद साल 1959 में इन्होंने दिल देके देखो से बतौर लीड रोल अदा करना शुरू कर दी थी वह आखरी बार पर दो पर फिल्म सर आंखों पर दिखाई दी थी।