पुष्पा फिल्म का रक्त चंदन काल्पनिक नहीं है

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हाल ही में बात की जाए तो साउथ इंडस्ट्री के मशहूर अभिनेता अल्लू अर्जुन की फिल्म पुष्पा रिलीज हुई थी या फिर मैं सुपर हिट साबित हुई थी इस फिल्म में अभिनेता अल्लू अर्जुन के साथ रश्मिका मंदाना भी दिखाई दी थी फिल्म अल्लू अर्जुन ने भी अपनी एक्टिंग से सभी दर्शकों का दिल जीता था हर कोई इसी फिल्म की बातें कर रहा था यदि आपने भी यह फिल्म देखी है तो आपको भी पता होगा कि इस फिल्म की कहानी भारत का लाल सोना यानी कि रक्त चंदन के बारे में बताया गया है फिल्म में पूरी तरह से रक्त चंदन की तस्करी की है वही फिल्मों में देखने को मिला है कि कैसे रक्तचंदन आंध्र प्रदेश के जिलों में पाया जाता है और इस बिक्री की बात करो रुपए की होती है आज भी भारत में यही सामान्य बनी हुई है कि आज भी भारत के लाल सोना की तस्करी जारी है और होती रहती है बहुत बड़ी मात्रा में।

फिल्म पुष्पा मैं दिखाया गया था कि कैसे तस्कर रक्त चंदन की लकड़ियों को काटकर भारत से बाहर भेजते हैं और करोड़ों रुपए कमाते भी हैं रक्त चंदन की तस्वीरें में नेता बड़े कारोबारी और माफिया तक भी शामिल रहते हैं लेकिन आपको बताना चाहेंगे कि लाल चंदन को विलुप्त होने की श्रेणी में आ गया है अंतरराष्ट्रीय प्रकृति संरक्षण में रक्त चंदन को विलुप्त होने वाली प्रजाति की श्रेणी में रख दिया है रिपोर्ट की मानें तो रक्तचंदन अब पूरी घाटों में ही बचा है दो हजार अट्ठारह में रक्त चंदन को इस श्रेणी में रखा गया था की रिपोर्ट के अनुसार रक्त चंदन की संख्या पिछले 3 पीढ़ियों से 50 से 80 % की गिरावट देखी गई है।

भारत की बात करें तो रक्त चंदन की तस्करी बहुत ज्यादा मात्रा में होती है इसे रोकने के लिए बहुत सारे संगठनों का भी निर्माण किया गया है रिपोर्ट की मानें तो भारत में करीब 2021 में 508 करोड़ रुपए के रक्त चंदन की लकड़ियां जप्त की गई थी जिसमें 342 तस्करों को गिरफ्तार भी किया गया था इसके लिए फोर्स बनाए गए हैं।

जानकारी के मुताबिक बात की जाए तो रक्त चंदन के पेड़ धीरे-धीरे विलुप्त होते जा रहे हैं इसके लिए लकड़ियों का घनत्व भी काफी ज्यादा बढ़ गया है यह पानी में भी काफी तेजी से डूब जाते हैं और विदेशों में रक्त चंदन की भारी डिमांड है सिंगापुर चीन ऑस्ट्रेलिया जापान और युवाओं में इस लकड़ी की बहुत ज्यादा मांग है यह भी माना जाता है कि जब चीन में मिल राजवंश का शासन था तब वहां से लोगों भी लकड़ी को खूब पसंद करते थे चौधरी और 17वीं शताब्दी के बीच रक्षण से बने फर्नीचर को भी खूब इस्तेमाल किया जाता था आज भी चीन के रक्त चंदन संग्रहण में इस लकड़ी से बनी कलाकृतियां भी काफी महंगी बिकती है और डिमांड भी रक्त चंदन की काफी ज्यादा है।