सिर्फ 10 रुपये में एक जानी मानी एयरलाइन्स कंपनी खरीदी गयी थी। जहां एक विमान को खरीदने के लिए 500 करोड़ रुपये की जरूरत पड़ती है, वहीँ एक पूरी की पूरी एयरलाइन्स कंपनी बेची गयी थी सिर्फ 10 रुपये में।
आइये जानते हैं की ऐसा कब और कैसे हुआ।
एक व्यक्ति थे, टोनी फर्नांडेस, जो आधे भारतीय और आधे पुर्तगाली थे। उन्होंने लंदन के बेहतरीन बिज़नेस स्कूल लंदन स्कूल ऑफ़ इकोनॉमिक्स से पढाई की और फिर वह वार्नर म्यूजिक में नौकरी करने लगे थे। यह कंपनी बहुत ही ज्यादा घाटे में चल रही थी और टोनी फर्नांडेस ने अपनी सूझबूझ से इस कंपनी को कर्जमुक्त किया और फायदे में ले आये।
जब उनकी पोस्टिंग वार्नर म्यूजिक के हेडक्वार्टर, मलेशिया में हुयी थी, तो उस वक़्त इस कंपनी को अमेरिका ऑनलाइन के साथ जोड़ दिया गया। फर्नांडेस खुश नहीं थे और उन्होंने अपनी नौकरी छोड़ दी।
उन्हें विमानन व्यापार में काफी दिलचस्पी थी। इसीलिए उन्होंने सन 2001 में विमानन लइसेंस के लिए मलेशिया में अप्लाई किया लेकिन लइसेंस उन्हें नहीं मिला क्यूंकि एयरलाइन कंपनी चलाने के लिए उनके पास पैसे नहीं थे।
उस वक़्त मलेशिया के प्रधानमन्त्री, डॉक्टर माताहिर मोहम्मद बारीकी से यह सब देख रहे थे। वह टोनी फर्नांडेस से बेहद खुश थे यह देखकर की कैसे उन्होंने वार्नर म्यूजिक जैसी कंपनी को घाटे से निकाला।
उन्होंने टोनी फर्नांडेस से मीटिंग करी और उन्हें समझाया की नयी एयरलाइन्स कंपनी शुरू करने के लिए लइसेंस की जरुरत होती है लेकिन जो एयरलाइन कंपनी पहले से ही व्यापार में है, अगर उसे खरीद लिया जाए तो लइसेंस की जरुरत नहीं क्यूंकि उस कंपनी के पास पहले से ही लइसेंस होती है।
इस बात पर टोनी फर्नांडेस ने कहा की उनके पास इतने पैसे नहीं है की वह कोई एयरलाइन्स कंपनी को खरीद सकें।
इस बात पर मलेशिया में प्रधानमन्त्री हसने लगे और उन्होंने मलेशिया की सरकारी एयरलाइन ‘एयर एशिया’ को टोनी फर्नांडेस को बेचने की बात रखी जिसके लिए उन्होंने टोनी से सिर्फ 1 रिंगित, यानी 10 रुपये मांगे।
सरकार पर एयर एशिया जैसी घाटे वाली कंपनी को चलाने का बहुत बड़ा बोझ था, इसीलिए प्रधानमन्त्री एयर एशिया को बेचना चाहते थे।
दोनों में डील हो गयी लेकिन इसमें एक बात और है। वह यह की टोनी फर्नांडेस को एयर एशिया सिर्फ 10 रुपये में तो मिल जाएगी, लेकिन इसके साथ कंपनी का 11,000 करोड़ का कर्ज़ा भी आएगा जिसे टोनी को संभालना पड़ेगा।
टोनी ने अपना आलिशान घर बेच दिया और उस से जो पैसे आये उसको वर्किंग कैपिटल के रूप में इस्तेमाल करते हुए 1 ही साल में (सं 2002 में) एयर एशिया को नेगेटिव मार्जिन से प्रॉफिट मार्जिन में ले आये और कुछ ही सालों में सारा कर्ज़ा भी चुका दिया।
आज के समय में एयर एशिया 17 देशों में काम कर रही है।