रावण आयु में राम से तैतीस पीढ़ी बड़ा था,उसकी आयु तीन लाख साल थी।वह त्रेता युग में उत्पन्न हुआ था।
उसने पाँच पुष्पक विमानों से हजारों वर्ष विश्व भ्रमण किया था।किष्किन्धा नरेश वानरराज बालि और कृतवीर्य के साथ हुए युद्ध में रावण की राम के पूर्वज मान्धाता के हाथों हार हुई।मान्धाता परशुराम और यादव नरेश शशबिन्दु के समकालीन थे।
उसके बाद मान्धाता ने रावण का इतना अपमान किया कि स्वयं ब्रह्मा को उन्हें रोकने वहाँ आना पड़ा।ब्रह्मा के आदेश देने पर मान्धाता ने रावण को छोड़ा।
उसके तीस हजार साल बाद रावण ने कुबेर का पुष्पक विमान लेकर विश्व भ्रमण किया।जब वह अयोध्या से गुजर रहा था तो उसे मान्धाता द्वारा किया गया उसका अपमान याद आ गया और उसने मान्धाता के उत्तराधिकारी राजा अनरण्य को गुस्से में युद्ध की चुनौती दी,यह राजा भगवान राम से अट्ठाइस पीढ़ी बड़ा था।रावण ने राजा अनरण्य का और उनके इक्ष्वाकु वंश का घोर अपमान किया।
यह देखकर राजा अनरण्य ने रावण को श्राप दिया,
जब भगवान विष्णु राम के रूप में धरती पर अवतार लेंगे तो वह मेरे वध और इक्ष्वाकु वंश के अपमान का तुमको मारकर प्रतिशोध लेंगे।
फलस्वरूप राम ने रावण का वध किया।
(कितना आश्चर्यजनक है यह वृत्तान्त! कोई इंसान लाखों वर्ष जीवित रह सकता है! ! !)