यही की ब्रह्मांड शांत है, बिलकुल शांत। सब कुछ बहुत बड़ा बड़ा है सूरज , जूपिटर सब कुछ और बहुत दूर भी है। अमर होकर भी कोई फ़ायदा नहीं , क्योकि अमरत्व भी यह आकाशगंगा घूमने के लिए कम है। और अरबों आकाशगंगाओ के बारे में सोचना भी निराशाजनक है। ब्रह्माण्ड कभी नहीं मरेगा पर अरबों आकाशगंगाये , ये अरबों गुणा अरबों तारे मर जायेंगे। अगर गलती से इस ब्रह्मांड ने हमारे वंशजो को अंत के बाद की तस्वीर देखने के लिए छोड दिया तब वो ये कभी नहीं सोच पायेंगे की कभी पृथ्वी नाम के ग्रह से तारे दिखते थे, या ये ब्रह्मांड फैल रहा था।
यही की हम अनंत स्याहपन और रिक्तता में हम एक 6400 किलोमीटर त्रिज्या के पत्थर पर 67,000 मील प्रतिघंटा (30 किलोमीटर / सेकंड) की रफ़्तार से एक असीम ऊर्जा के गोले के चक्कर लगा रहे है जो हर सेकंड लगभग 4 बिलियन किलोग्राम द्रव्यमान को ऊर्जा में बदल देता है और एक दिन अपना ईंधन खत्म होने के बाद अपने आकार से 100 गुना बड़ा होकर हमको निगल जायेगा, जो की खुद 8,28,000 किमी/घंटा की रफ़्तार से अपने से 46 लाख गुना अधिक द्रव्यमान के एक सुपरमैसिव ब्लैकहोल का चक्कर 23 करोड़ साल में एक बार लगाता है।
यही की काला अनंत ब्रह्मांड; बेरहम है और किसी भी क्षण सेकड़ो घूमते पत्थर से लेकर कोई आवारा ग्रह आकर हमारा अस्तित्व मिटा सकता है ,और हम कुछ नहीं कर सकते है। पता भी नहीं चलने वाली और त्वरित दर्द रहित मौत का प्रबंधन स्वयं ब्रह्मांड खुद है। और यह भी पर्याप्त नहीं था शायद इसीलिए B31715+425 मतलब पर्सी नाम का सुपरमैसिव ब्लैकहोल ब्रह्मांड में बिना बंदिश के खुला घूम रहा है। और अगर सबकुछ इसके पक्ष में रहा तो जल्द ही यह 200 करोड़ प्रकाश वर्ष दूर यह दानव 48,00,000 किमी/घंटा की रफ़्तार से हमारी आकाशगंगा के परखच्चे उड़ा देगा। तरबूज पर गोली चलते देख लेने से आपको आईडिया आ जाएगा।
नोट : ब्रह्मांड को आपके या हमारे होने या ना होने से कोई फरक नहीं पड़ता है। हम एक धूल के कण पर एक गलती से ज्यादा कुछ नहीं है और अगर जल्द ही एक सभ्यता के रूप में हमने अपनी प्राथमिकताएं तय नहीं की तो एक और असफल म्युटेशन से ज्यादा कुछ रहेंगे भी नहीं; एक और विलुप्त हो चुकी जैविक गलती।” लेकिन शायद अस्तित्व को मानव में संभावनाएं दिखती है, एक इंटरस्टेलर सभ्यता बनने की सम्भावना। इसिलिए शायद और शायद इस सूनेपन को आबाद करने का मौका हमको मिला है। शायद !!!