भारत के 10 सबसे पावरफुल इंसान कौन हैं

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1. मुकेश अंबानी, 61 साल


यमन में पैदा हुए मुकेश रिलायंस कंपनी के मालिक हैं, जिसकी स्थापना मुकेश के पिता धीरूभाई अंबानी ने 1966 में की थी। 2002 में पिता के देहांत के बाद मुकेश और उनके भाई अनिल में बंटवारा हो गया। ऐसे में रिलायंस के बैनर तले होने वाले अलग-अलग व्यवसाय दोनों भाइयों में बंट गए। मुकेश के हिस्से में मुख्य तौर पर पेट्रोकेमिकल, ईंधन और गैस का बिजनेस है। भारत के टेलिकॉम मार्केट की सूरत बदलने वाला रिलायंस जियो मुकेश अंबानी की देन है। फोर्ब्स 2018 के मुताबिक इनकी संपत्ति 47.3 अरब डॉलर यानी करीब 33 खरब रुपए है।

2. अजीम प्रेमजी, 73 साल


मुंबई में पैदा हुए अजीम प्रेमजी भारत की दिग्गज IT कंपनी विप्रो लिमिटेड के चेयरमैन हैं। इन्हें विरासत में खाना पकाने वाले तेल का बिजनस मिला था। 1966 में पिता के देहांत के बाद उन्होंने बिजनेस संभाला और फिर इन्फॉर्मेशन टेक्नॉल्जी और सॉफ्टवेयर के क्षेत्र में अपना व्यापार बढ़ाया। आज विप्रो भारत की तीसरी सबसे बड़ी आउटसोर्सर कंपनी है। आउटसोर्सर यानी किसी बड़ी कंपनी को अपनी कोई खास सेवा या कर्मचारी मुहैया कराने वाली संस्था। इन्हें भारतीय IT इंडस्ट्री का Czar कहा जाता है, जिसका मतलब रूस के सम्राट की पदवी होता है। फोर्ब्स 2018 के मुताबिक इनकी संपत्ति 21 अरब डॉलर यानी करीब 15 खरब रुपए है।

3. लक्ष्मी निवास मित्तल, 68 साल


राजस्थान में पैदा हुए लक्ष्मी निवास मित्तल दुनिया में सबसे ज़्यादा स्टील बनाने वाली कंपनी आर्सेलर मित्तल के चेयरमैन और CEO हैं। इनके पिता मोहनलाल मित्तल भी स्टील का बिजनस करते थे। 1976 में जब भारत सरकार ने स्टील उत्पादन को नियंत्रित कर दिया, तो 26 साल के लक्ष्मी ने इंडोनेशिया में अपनी पहली स्टील फैक्ट्री खोली। अपना बिजनस बढ़ाने के सिलसिले में लक्ष्मी अपने भाइयों से अलग हो गए और 2006 में इन्होंने अपनी कंपनी को फ्रांस की आर्सेलर के साथ मर्ज कर दिया। मित्तल के पास इसका 38% मालिकाना हक है। फोर्ब्स 2018 के मुताबिक इनकी संपत्ति 18.3 अरब डॉलर यानी करीब 14 खरब रुपए है।

4. हिंदुजा परिवार/हिंदुजा ग्रुप


हिंदुजा ग्रुप यानी चार भाई- श्रीचंद, गोपीचंद, प्रकाश और अशोक हिंदुजा। सिंधी परिवार में पैदा हुए परमानंद दीपचंद हिंदुजा ने 1914 में मुंबई और कराची से यह कंपनी शुरू की थी। पिता के बाद चारों बेटों ने व्यापार संभाला। 1919 से 1979 तक हिंदुजा का हेडक्वॉर्टर ईरान में रहा, जहां इस्लामी क्रांति शुरू होने के बाद इन्होंने अपने सरोकार यूरोप में शिफ्ट कर लिए। हिंदुजा ग्रुप इम्पोर्ट, एक्सपोर्ट, ट्रेडिंग, बैंकिंग, कॉल सेंटर, हेल्थ केयर और केबल टीवी तक के बिजनस में है। श्रीचंद और गोपीचंद लंदन में, प्रकाश जिनेवा में और अशोक मुंबई में रहते हैं। चारों भाई एक जैसे कपड़े पहनना और एक जैसा चश्मा लगाना पसंद करते हैं। फोर्ब्स 2018 के मुताबिक इनकी संपत्ति 18 अरब डॉलर यानी करीब 13 खरब रुपए है।

5. पलौंजी मिस्त्री, 89 साल


भारत में जन्मे और 2003 में आयरलैंड की नागरिकता लेने वाले पलौंजी मिस्त्री भारत की सबसे बड़ी कंस्ट्रक्शन कंपनियों में से एक शपूरजी पलौंजी ग्रुप को नियंत्रित करते हैं। इस पारसी परिवार में कंस्ट्रक्शन का काम 1889 में पैदा हुए पलौंजी के दादा ने शुरू किया था। उनका नाम भी पलौंजी था। 1921 में पलौंजी के देहांत के बाद बेटे शपूरजी ने ‘शपूरजी पलौंजी कंस्ट्रक्शन प्राइवेट लिमिटेड’ कंपनी बनाकर काम शुरू किया। शपूरजी ने अपने बेटे का नाम पिता के नाम पर पलौंजी रखा। पलौंजी ने 2012 में ग्रुप के चेयरमैन की कुर्सी छोड़ दी थी, लेकिन नियंत्रण अब भी उन्हीं का है। अभी उनके बड़े बेटे शपूर चेयरमैन हैं। उनके दूसरे बेटे सायरस मिस्त्री का टाटा संस के साथ विवाद चल रहा है। नितांत निजी जीवन जीने वाले पलौंजी को ‘बॉम्बे हाउस का फैंटम’ कहा जाता है।

कंस्ट्रक्शन, रियल एस्टेट, टेक्सटाइल, शिपिंग और पावर के क्षेत्र में काम कर रहा यह ग्रुप मुंबई सेंट्रल रेलवे स्टेशन, RBI ऑफिस, बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (BSE) बिल्डिंग, JNU स्टेडियम, ओमान के सुल्तान का महल और दुबई में जुमेराह लेक टॉवर जैसी इमारतें बना चुका है। 1960 में रिलीज़ हुई के. आसिफ की प्रख्यात फिल्म ‘मुगल-ए-आज़म’ में इस ग्रुप ने डेढ़ करोड़ रुपए लगाए थे, जिससे वह आइकॉनिक फिल्म तैयार हुई। ग्रुप की संपत्ति का एक बड़ा हिस्सा टाटा संस में इसकी 18.4% की हिस्सेदारी है। फोर्ब्स 2018 के मुताबिक पलौंजी की संपत्ति 15.7 अरब डॉलर यानी करीब 11 खरब रुपए है।

6. शिव नादर, 73 साल


तमिलनाडु में पैदा हुए शिव नादर IT क्षेत्र की दिग्गज कंपनी HCL के चेयरमैन हैं। यह कंपनी उन्होंने 1976 में अपने कुछ दोस्तों के साथ एक गैराज में शुरू की थी। उस समय इनका पहला इन्वेस्टमेंट 1,87,000 रुपए का था। शिव की इस कंपनी की शुरुआत कैल्कुलेटर और माइक्रोप्रॉसेसर बनाने से हुई थी और आज HCL भारत की चौथी सबसे बड़ी सॉफ्टवेयर प्रोवाइडर है। कंपनी के अलावा शिव ने SSN कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग की भी स्थापना की। इनकी बहन रामनिचंद्रन 178 रोमैंटिक नॉवेल लिख चुकी हैं। फोर्ब्स 2018 के मुताबिक इनकी संपत्ति 14.6 अरब डॉलर यानी करीब 10 खरब रुपए है।

7. गोदरेज परिवार (आदि गोदरेज, 76 साल)


मुंबई में जन्मे आदि गोदरेज भारत के बड़े बिजनस समूह गोदरेज ग्रुप के चेयरमैन हैं। आदि के दादा आर्दशीर पेशे से वकील थे, लेकिन 1897 में उन्होंने यह पेशा छोड़कर अपने भाई पिरोजोशा के साथ मिलकर ताला बनाने का काम शुरू किया। आर्दशीर की कोई संतान नहीं थी। आर्दशीर के बाद इस बिजनस को पिरोजोशा के बच्चों ने संभाला और फिर उनकी अगली पीढ़ी ने कमान संभाली। 2000 में गोदरेज के चेयरमैन बनने वाले आदि इसी तीसरी पीढ़ी से ताल्लुक रखते हैं, जो अपने भाई नादिर और कज़िन जमशेद गोदरेज के साथ कंपनी को आगे बढ़ा रहे हैं। गोदरेज ग्रुप मुख्य रूप से कंज़्यूमर प्रॉडक्ट्स, रियल एस्टेट, इंडस्ट्रियल इंजीनियरिंग और कृषि उत्पादों के धंधे में है। आदि नाव चलाने का शौक रखते हैं। फोर्ब्स 2018 के मुताबिक गोदरेज परिवार की संपत्ति 14 अरब डॉलर यानी करीब 9 खरब रुपए है।

8. दिलीप संघवी, 63 साल


गुजरात में जन्मे दिलीप संघवी दवाई बनाने वाली कंपनी ‘सन फार्मासुटिकल्स’ के संस्थापक और मैनेजिंग डायरेक्टर हैं। दिलीप के पिता शांतिलाल संघवी कोलकाता में दवाइयों का थोक डिस्ट्रीब्यूशन करते थे। दिलीप अपने पिता की मदद करते थे। धीरे-धीरे उन्हें लगा कि दवाइयां बेचने के बजाय खुद दवाइयां बनाकर ज़्यादा पैसे कमाए जा सकते हैं। 1983 में उन्होंने अपने पिता से 10 हज़ार रुपए लेकर ‘सन फार्मासुटिकल इंडस्ट्रीज़’ की शुरुआत की। आज उनकी कंपनी दवाई बनाने के मामले में भारत की सबसे बड़ी और दुनिया की चौथी सबसे बड़ी कंपनी है। अपने व्यापार को विस्तार देते हुए दिलीप ने कई देशी-विदेशी कंपनियों का अधिग्रहण किया। 2014 में उन्होंने अपनी प्रतिद्वंदी कंपनी रैनबैक्सी का अधिग्रहण किया था। 2012 में उन्होंने कंपनी के चेयरमैन और CEO का पद छोड़ दिया था और इज़रायल की दवा बनाने वाली कंपनी टेवा फार्मासुटिकल्स के CEO रहे इस्रायल माकोव को अपना उत्तराधिकारी बनाया। फोर्ब्स 2018 के मुताबिक इनकी संपत्ति 12.6 अरब डॉलर यानी करीब 9 खरब रुपए है।

9. कुमार बिड़ला, 51 साल


कोलकाता में जन्मे कुमार मंगलम बिड़ला भारत के सबसे बड़े बिजनेस समूह में से एक ‘आदित्य बिड़ला ग्रुप’ के चेयरमैन हैं। इस ग्रुप की स्थापना 1857 में सेठ शिव नारायण बिड़ला ने की थी। शिव नारायण की कोई संतान नहीं थी, तो 1880 के दशक में उन्होंने अपने बिजनस की कमान गोद लिए बेटे बलदेव दास बिड़ला को सौंप दी। बलदेव के चार बेटे हुए- जुगल किशोर, रामेश्वर दास, घनश्याम दास और बृजमोहन। इन चारों में सर्वाधिक सफल घनश्याम दास के बेटे हुए बसंत कुमार बिड़ला। बसंत कुमार बिड़ला के बेटे थे आदित्य विक्रम बिड़ला। कुमार मंगलम इन्हीं आदित्य विक्रम के बेटे हैं। बिड़ला परिवार की पिछली पीढ़ियों के लगभग सभी सदस्य आज़ादी के लिए संघर्ष करने वाले महात्मा गांधी और सरदार वल्लभभाई पटेल जैसे नेताओं के करीबी या संपर्क में रहे।

1995 में जब आदित्य विक्रम का देहांत हुआ, तब 28 साल की उम्र में कुमार ने बिजनस संभाला। जिस तरह टाटा कई कंपनियों का समूह है, वैसे ही आदित्य बिड़ला ग्रुप भी है। भारत में प्राइवेट सेक्टर में टाटा पहले नंबर पर आता है और आदित्य बिड़ला ग्रुप तीसरे नंबर पर। इस ग्रुप का व्यापार मुख्य रूप से सीमेंट, एल्यूमिनियम, फैशन, टेलिकॉम और फाइनैंशियल सर्विस के इर्द-गिर्द फैला है। अगस्त 2018 में कुमार ने अपनी कंपनी आइडिया सेल्यूलर को वोडाफोन से मिला दिया, जिससे वोडाफोन आइडिया कंपनी बनी, जो भारत की सबसे बड़ी टेलिकॉम फर्म है। फोर्ब्स 2018 के मुताबिक कुमार की संपत्ति 12.5 अरब डॉलर यानी करीब 9 खरब रुपए है।

10. गौतम अडानी, 56 साल


गुजरात में जन्मे गौतम शांतिलाल अडानी ‘अडानी ग्रुप’ के संस्थापक और चेयरमैन हैं। गौतम ने 1988 में अडानी ग्रुप की स्थापना की थी। आज गौतम को पोर्ट्स (बंदरगाह) टाइकून कहा जाता है और अडानी ग्रुप का बिजनस मुख्य तौर पर खनिज, लॉजिस्टिक्स, एनर्जी, खेती, डिफेंस और एयरस्पेस जैसे क्षेत्रों में फैला हुआ है। भारत के सबसे बड़े बंदरगाह मुंद्रा पोर्ट पर अडानी का नियंत्रण है। अगस्त 2018 में अडानी ने अनिल अंबानी के मालिकाना हक वाले रिलायंस इन्फ्रास्ट्रक्चर के पावर बिजनस का अधिग्रहण किया। उसी महीने अडानी ग्रुप ने 21 शहरों में खाना बनाने में इस्तेमाल होने वाली LPG की पाइप्ड सप्लाई और गाड़ियों में इस्तेमाल होने वाली CNG की सप्लाई का अधिकार हासिल किया। फोर्ब्स 2018 के मुताबिक गौतम की संपत्ति 11.9 अरब डॉलर यानी करीब साढ़े आठ खरब रुपए है।