आपको तो पता ही होगा कि पृथ्वी में तीन चौथाई हिस्सा पानी में डूबा हुआ है और एक चौथाई में सिर्फ जमीन पाया जाता है. इसलिए आज के आर्टिकल में हम आपको समुद्र के उस गहराई तक पहुंचाएंगे, जिसे आपने कभी ख्यालों में भी नहीं सोचा होगा.
आमतौर पर हम जब समुद्र के 40 मीटर की गहराई में जाते हैं, तो वहां हम स्कूबा डाइविंग करते हैं. लेकिन जब हम 73 मीटर गहराई में जाते हैं तो समुद्र उतना गहरा होता है मानो ताजमहल और कुतुबमीनार को समुद्र में उल्टा डाल दिया हो.
वहीं अगर आपको लुसितानिया जहाज के तलवे पर जाना है तो आपको 93 मीटर की गहराई तक जाना होगा. लेकिन 100 मीटर के आते ही लोगों को करने में कई मुश्किलें पैदा होने लगती है. इसका प्रमुख कारण यह है कि वहां डीकंप्रेशन सिकनेस होता है.
आश्चर्य की बात यह है कि इससे भी गहराई में जाकर हरबर्ट नितस्च नाम के तैराग ने 214 मीटर गहराई को तय किया वो भी एक मात्र सांस में.
ऐसे ही अहमद गब्बर ने 332 मीटर गराई जाकर एक रिकॉर्ड कायम किया. लेकिन आपको बता दें हम जितना सोच भी नहीं सकते उससे कई ज्यादा समुद्र गहरा होता है.
इसकी अगर और गहराई में जाना चाहे तो 443 मीटर में कितना गहरा होता है कि स्टेट इंपायर बिल्डिंग को उल्टा खड़ा दें उतना. इसके अलावा 500 मीटर में दुनिया का सबसे बड़ा जीव ब्लू व्हेल इस स्तर पर तैरता है. 535 मीटर में इंपेरर पेंग्विंस मिलते हैं. 830 मीटर में समुद्र इतना गहरा हो जाता है कि बुजुर्ग खलीफा को उल्टा खड़ा कर दें.
वहीं 1000 मीटर में समुद्र की गहराई को स्केरी जोन कहा जाता है क्योंकि इस स्तर के बाद सूरज की रोशनी नहीं आ पाती.1280 मीटर में लेदर बैक कछुआ नजर आता है. वहीं 2000 मीटर में ब्लैक ड्रैगन फिश मिलता है. 4267 मीटर में समुद्र का एवरेज गहराई माना जाता है.
लेकिन जब आप 6000 मीटर में जाएंगे तो आपको हडाल जोन मिलेगा. जहां पानी का दबाव जमीन के मुकाबले 1100 ज्यादा होता है. 6500 मीटर में डीएसपी अलवाइन पनडु्बी तैरता है. इसके अलावा 8848 मीटर में समुद्र की गहराई को रोहतक स्थिति माना जाता है.
लेकिन जब आप 10898 मीटर में जाएंगे तो आपको पता चल पाएगा कि जेम्स कैमरन ने डीप सी चैलेंज के तहत समुद्र की गहराई नापी थी. आखिरकार 10994 मीटर में समुद्र का अंतिम स्तर माना जाता है और उसे मरियाना ट्रेंच और चैलेंज डीप कहा जाता है.
हैरानी वाली बात यह है कि या स्तर भी समुद्र का अंतिम स्तर नहीं है क्योंकि साइंटिस्ट अभी तक समुद्र का सिर्फ 5% का अनुमान लगा पाए हैं बाकी के 95% अभी भी बाकी है.
जिसमें कि हम सोच भी नहीं सकते कि वह कितना गहरा हो सकता है और उसमें किस तरह के जीव जंतु पाए जाते होंगे.