हवा में तैरने वाला दुनिया का एकलौता मंदिर

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क्या कभी सुना है आपने किसी मंदिर को हवा में तैरते हुए …..
ये धरती रहस्यों से भरी पड़ी है जिन्हें समझ पाना किसी के भी बस की बात नहीं रही ! इन रहस्यों के सामने बड़े से बड़े वैज्ञानिको ने भी हार मान ली है ! आमतौर पर आपने ऐसे मंदिर देखे होंगे या सुने होंगे जो हैरान कर देने वाले रहस्यों से भरे होंगे लेकिन उन सब मंदिरों में एक बात तो सामान्य होती है की वे सब धरती पर ही स्थापित होते है लेकिन क्या कभी आपने ऐसे मंदिर को देखा है जो हवा में तैरता है ! जी हाँ दिसतो आज हम आपको ऐसे ही एक अनोखे मंदिर से रूबरू करवा रहें है जो अपने आप में ही इतना बड़ा रहस्य लेकर हवा में तैरता है ! तो चलिए जानते है इस मंदिर का रहस्य !

आंद्रप्रदेश का लेपाक्षी मंदिर, दुनिया का एकलौता ऐसा मंदिर जो अपने अन्दर समेटे हुए है रहस्यमयी सतम्भ ! लेपाक्षी मंदिर भगवान् शिव का मंदिर है जिसके परिसर में 70 खुबसूरत पिलर है जिनके ऊपर बहुत ही आकर्षक नक्काशी हुयी हिया ! लेकिन इन 70 पिलर में एक ऐसा पिलर है जो अपने इस रहस्र के लिए पूरी दुनिया में प्रसिद्ध है ! दरअसल ये अनोखा पिलर ज़मीन के साथ अटेच नहीं है बल्कि ये पिलर हवा में झूल रहा है !

दरअसल ये पिलर मंदिर की छत से तो जुड़ा है लेकिन ज़मीन से नहीं ! ज़मीन को छूने से पहले ही ये पिलर ख़त्म हो जाता है और आप चाहो तो उसके निचे से हाथ पैर निकाल सकते है !


इस मंदिर को लेकर लोगो को ये मान्यता है कि जो कोई भी इस पिलर के आर पार चला जाता है उसकी मन्नत जल्दी पूरी हो जाती है लेकिन यदि वो नहीं जा पाते है तो वह कपडे की सहायता से ऐसा कर सकते है जिससे उनकी मन्नत पूरी होती है ! कहा जाता है कि वनवास के दौरान प्रभु श्री राम और माता सीता यही आये थे जिस वक़्त माता सीता का अपहरण हुआ तव रावन के साथ युद्ध करके घायल हुए जटायु पक्षी इस स्थान पर गिये थे जिसके बाद प्रभु श्री राम माता सीता को ढूंडते हुए इस स्थान पर पहुचे जहाँ उन्होंने जटायु को लेपाक्षी नाम देकर अपने गले लगा लिया था दरअसल लेपाक्षी एक तेलुगु शब्द है जिसका अर्थ है उठो पक्षी !

पौराणिक मन्यायो के मुताविक इस मंदिर का निर्माण ऋषि अगस्त ने किया था लेकिन इतिहास के अनुसार सन 1578 में विजय नगर के राजा के लिए काम करने वाले 2 भाइयों विराप्पना और वीरनना ने इस मंदिर का निर्माण किया था ! लेकिन अभी तक इसकी सच्चाई पता नहीं चली है

कहा जाता है कि एक बार इस मंदिर का रहस्य जानने के लिए एक व्यक्ति ने इसे तोड़ने का पर्यास किया लेकिन वह इस मंदी को तोड़ नहीं पाया क्यूंकि वो पिलर हवा में झूल रहा था और यह भी कहा जाता है कि इस पिलर का हवा में झुलना ही सही है अगर इस पिलर ने किसी दिन ज़मीन को छु लिया तो इस सृष्टि का विनाश हो सकता है !