क्या म्यूटेशन के बाद अब और ख़तरनाक हुआ करोना ?

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दुनियाभर में तबाही मचा रहा करोना वायरस का म्यूटेशन हो चुका है जिससे यह ज्यादा संक्रामक हो चुका है. इसकी वजह से अब यह मास्क पहनने और हाथ धोने जैसी बचाव प्रक्रियाओं से बचकर निकल सकता है. यह आशंका एक स्टडी में जताई गई है. एक्सपर्ट्स ने चेतावनी दी है कि करोना के नए स्ट्रेन ने मास्क और हाथ धोने का तोड़ निकाल लिया है.

मार्च से ही अमेरिका के ह्यूस्टन में एक्सपर्ट्स करोना वायरस के जीनोम को सीक्वेंस कर रहे हैं. अब तक उन्होंने इसके 5085 सीक्वेंस ढूंढ लिए हैं. नैशनल इंस्टिट्यूट ऑफ एलर्जी एड इन्फेक्शियस डिजीज के वायरॉलजिस्ट (National Institute of Allergy and Infectious Diseases) डेविड मोरेन्स (David Morens) का कहना है कि ऐसा हो सकता है कि वायरस ने अब म्यूटेशन के बाद हमारे कुछ सुरक्षा तंत्रों से बचना सीख लिया हो. उनका कहना है कि अब यह और ज्यादा संक्रामक हो सकता है. इसके साथ ही इसे कंट्रोल करने के तरीकों में पर हमें और ध्यान देने की जरूरत हो गई है.

डेविड मोरेन्स ने कहा है, “हमें अभी पता नहीं है लेकिन इसकी संभावना है कि करोना वायरस तब और ज्यादा संक्रामक हो जाएगा जब हमारी आबादी के स्तर पर प्रतिरक्षा बढ़ जाएगी। अगर ऐसा होता है तो फ्लू जैसे हालात होंगे. जैसे-जैसे वायरस म्यूटेट करेगा, हमें उसका पीछा करना होगा और वैक्सीन में बदलाव करने होंगे.”

स्टडी में यह भी पता चला कि एक म्यूटेशन D614G अमेरिका में सबसे ज्यादा पाया गया और यह ह्यूस्टन के 99.9 फीसदी मामलों का कारण है. स्टडी के मुताबिक म्यूटेशन से वायरस के स्पाइक प्रोटीन का स्ट्रक्चर बदल जाता है और इससे यह स्ट्रेन और ज्यादा फैलता है. ज्यादातर वैक्सीनें वायरस के स्पाइक प्रोटीन को पहचानकर ही उसके खिलाफ लड़ने के लिए ऐंटीबॉडी पैदा करती हैं. अगर म्यूटेशन का असर इस पर होता है, तो वैक्सीन निर्माण के लिए चुनौती होगी.

अब वायरस म्यूटेशन किसी पासे की तरह घूम रहा है और अमेरिका में रोजाना हजारों नए मामले सामने आ रहे हैं. इस रिसर्च के लेखक और ह्यूस्टन मेथोडिस्ट हॉस्पिटल के जेम्स मुसर का कहना है कि वायरस के लगातार नया रूप लेने मुश्किलें बढ़ रही हैं. उन्होंने वाशिंगटन पोस्ट से कहा कि हमने इस वायरस को बहुत मौका दे दिया है. अभी भी बड़ी संख्या में लोग इसका शिकार बन सकते हैं.

रिसर्च से पता चलता है कि वायरस ह्यूस्टन और आसपास के इलाकों में दूसरी लहर के तौर पर फैल गया है. पहले दौर में इस वायरस ने बुजुर्गों को निशाना बनाया था. लेकिन दूसरी लहर में इसने युवाओं और कम आय वर्ग के लोगों को अपनी चपेट में लिया है.