ट्रक चालक लगातार कितने दिन तक बिना रुके ट्रक चला लेते है और इसके लिए उनको कितना वेतन मिलता है ?

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मेरे पड़ोस के एक भईया ट्रक ड्राइवर है और उनसे जब भी मिलना होता है , वो अपने ड्राइवरी किस्से , उसमे आने वाली परेशानियों और मिलने वाले वेतन के बारे में चर्चा करते रहते है , तो मुझे लगता है मैं इस प्रश्न का बेहतर उत्तर दे पाऊंगा?

 

 

 

 

 

 

 

जहाँ तक मैंने देखा है , ये महीने में बमुश्किल 3 – 4 दिन ही घर आते है। लगातार 12 से 14 घंटे भी इन्हें ड्राइव करना पड़ता है, जिस कारण से लगातार सीट पर एक ही स्थिति में बैठे रहने के कारण इनकी कमर , पीठ और गर्दन में बराबर दर्द बना रहता है। अधिकतर ट्रक ड्राइवरों को एक बहुत ही जटिल और भयावह समस्या हो जाती हैं ” बवासीर की ” , पड़ोस वाले भइया भी इससे अछूते नही है।

आगे का लेख मैं प्रश्नोत्तर के माध्यम से प्रस्तुत करना चाहूंगा जिससे कि पाठको को इनके बारे में समझने में ज्यादा परेशानी ना हो।

मैं – आपको लगातार 40 घंटे भी ड्राइव करना पड़ता है क्या ?

ड्राइवर भैया – करने को तो 50 घंटे भी करनी पड़ती है लेकिन हम लगातार 50 घंटे ड्राइव नही करते , बल्कि टुकड़ो में करते है। जैसे कि अगर 50 घंटे की यात्रा है तो 4 टुकड़े या 5 टुकड़े में पूरा कर लेते है। लेकिन अगर कभी किसी सामान को गन्तव्य तक जल्दी पहुंचाना हुआ तो 20 घंटे लगातार भी ड्राइव करना पड़ता है।

मैं – लगातार ड्राइव करते आप बोर नही होते हो ?

ड्राइवर भैया – बोर तो शादी के दो साल बाद भी लोग हो जाते है , फिर भी बीवी के साथ तो रहना ही पड़ता हैं ना ( थोड़े मजाकिया किस्म के है )। बोर तो हो ही जाते है लेकिन अगर उसे अपने ऊपर हावी होने दिया तो घरखर्च कैसे चलेगा।

मैं – वेतन का क्या हिसाब किताब है आपका ?

ड्राइवर भैया – हम कोई सरकारी नौकरी या मल्टीनेशनल कंपनी में तो है नही कि महंगाई भत्ता और इंक्रीमेंट मिले। मिल जाता हैं 16 हजार महीने का और 3 हजार अतिरिक्त खाने पीने का। साल में कही हजार , पांच सौ बढ़ जाए तो हमारी किस्मत से।

मैं – खाने पीने की क्या व्यवस्था रहती है आपकी ?

ड्राइवर भैया – अब ये तो संभव नही कि हम राशन लेकर चले। राशन पास में हो भी तो ईंधन की कहाँ व्यवस्था की जाए। इसलिए हम पूरी तरह से छोटे मोटे ढाबों पर निर्भर होते है , जहाँ सस्ता खाना मिल जाए। कोशिश ये करते है कि जो राशन के लिए 3 हजार मिलता है , उसमे खाने की व्यवस्था हो जाए। इस चक्कर मे स्वास्थ्य समस्याओं का भी सामना करना पड़ता है।

मैं – अगर चलते – चलते थक जाए तो फिर कहाँ रुकना होता है ?

ड्राइवर भैया – हम ज्यादातर रात में ही चलते है क्योंकि कई जिलों में दिन में चलने की मनाही होती है और रात में ट्रैफिक समस्याओं का भी सामना नही करना पड़ता। रात भर ड्राइविंग करने के बाद अगर दिन में थकान के कारण कहीं विश्राम करना हुआ तो छोटे – छोटे ढाबो पर कभी कोई चारपाई मिल जाती है नही तो ट्रक के अंदर या फिर बाहर ट्रक की छांव में भी सो लेते है।

मैं – अतिरिक्त कमाई का कोई साधन है क्या ?

ड्राइवर भैया – अतिरिक्त कमाई के साधन तो है लेकिन उसमे काफी खतरा मोल लेने की जरूरत पड़ती है। कभी कभी ट्रक मालिक से ट्रक के किसी पार्ट्स के खराब होने और उसकी मरम्मत के लिए पैसों की मांग की जा सकती हैं लेकिन ऐसे काम सब नही करते। कभी कहीं की डिलीवरी के दौरान अगर किसी का कोई छोटा मोटा सामान ले जाना हुआ तो बिना ट्रक मालिक की जानकारी के उससे मिलने वाला पैसा रख लेते है।

मैं – आपको ड्राइविंग में किन – किन परेशानियों का सामना करना पड़ता है ?

ड्राइवर भैया – परेशानियां तो इतनी है कि मैं गिनाने लगूँ तो तुम गिनती भूल जाओ। इसीलिए सारी परेशानियां छोड़ो , मैं सिर्फ मुख्य परेशानियों के बारे में जिक्र करने जा रहा।

ड्राइविंग से थकान इतनी होती है कि पूछो मत।
परिवार के साथ समय बिताने का मौका ना के बराबर मिलता हैं।
हर दो कदम पर पुलिस और आरटीओ वाले रोकते हैं , पता नही उन्हें ऐसा क्यों लगता है कि माल कमाने के लिए ट्रक वालो से बेहतर कोई नही।
दुर्घटना का खतरा हमेशा बना रहता है।
95 % ट्रक चालक शराब जैसे नशों के आदी हो जाते है।
पार्किंग स्पेस तक की जगह नही मिल पाती। मजबूरी में सड़कों के किनारे या किसी ढाबे पर पार्किंग की व्यवस्था करनी पड़ती है।
पैसे खर्च करके भी अच्छा खाना पानी नही मिल पाता जिससे हमारी सेहत पर असर पड़ता है।
अगर कही गलती से भी कोई दुर्घटना हो जाये , तो भले ही हमारी गलती ना हो , सारा दोष हम पर मढ दिया जाता है।
आगे कुछ और परेशानी बताने ही वाले थे कि मैंने उन्हें रोककर कहा ” बस कर पगले , रुलाएगा क्या ” ??

कोरोना महामारी के समय भी इनकी भूमिका सराहनीय रही है। एक स्थान से दूसरे स्थान तक जरूरी सामानों की डिलीवरी करके ये इस लड़ाई में सरकार और आम जनता के कंधे से कंधा मिलाकर खड़े है।

क्या इनकी चुनौतियां देख कर ये नही लगता कि ट्रक चालक ज्यादा वेतन और सम्मान के हकदार हैं ?