कई लोगो के मन में ये सवाल भी जरुर आता है कि आख़िरकार इन दिनों देवो में सबसे शक्तिशाली देवता कौ-न है
ब्रह्मा जिन्हें इस सृष्टि का रचियता माना जाता है, विष्णु जिन्हें इस सृष्टि का पालनकार कहा जाता है या फिर महेश जिन्हें इस सृष्टि का विनाशकारी समझा जाता है ! तो चलिए जानते है !दरअसल इन तीनो देवो की शक्ति जानने के लिए हमारे पास 3 मान्यताये है जिसमें से पहली मान्याता शिव पुराण में है , दूसरी मान्यता भगवत गीता में है और तीसरी मान्यता सप्त ऋषियों में से है ! तो चलिए एक एक करके जानते है सबसे पहले जानते है
भगवत गीता के अनुसार : एक बार सप्तऋषि आपस में चर्चा कर रहे थे कि त्रेदेवो में सबसे शक्तिशाली कौन है तब उन्होंने तीनो देवो की परीक्षा लेने के लिए भृगु ऋषि को चुना और फिर भृगु तब सबसे पहले ब्रह्माँ के पास गए और उनका अपमान किया जिससे ब्रह्मा जी उनसे क्रोधित हो गए ! इसके बाद भृगु ऋषि भगवान शिव के पास गए और उनका अपमान किया उसके बाद भृगु भगवान विष्णु के पास गए तव भगवान विष्णु जी आराम कर रहे थे और भृगु ऋषि ने जाकर उनकी छाती पर लात मारी लेकिन ऐसा करने से भगवान विष्णु जरा भी क्रोधित नहीं हुए बल्कि भृगु ऋषि से पूछने लगे कि कही उनके पांव में चोट तो नहीं आई क्यूंकि मेरी छाती का भाग बहोत कठोर है जिससे आपको चोट पहुच सकती है !
भगवान विष्णु की बात सुन कर भृगु ऋषि ने उनसे माफ़ी मांगी और सप्तऋषियों ने माना कि भगवान् विष्णु ही सबसे बड़े देवता है !और अब बात करते है सप्तऋषियों की जिसके अनुसार एक बार तीनो देवता साथ बैठे होते है तभी महादेव के मन में प्रश् आया कि मई इस सृष्टि की विनाशकारक हु तो क्या मैं ब्रह्मा और भगवान विष्णु का भी विनाश कर सकता हूँ तव शिवजी के एस विचार से ब्रह्मा और विष्णु जी मुस्कुराने लगे और फिर ब्रह्मा जी ने कहा कि आप मुझपर अपनी शक्ति का पर्योग कीजिये फिर शिवजी ने अपनी शक्ति का पर्योग ब्रह्मा जी पर किया जिससे ब्रह्मा जी जल कर भस्म होते ही राख का ढेर हो गए और तब ये देख कर भगवान् शिव को चिंता हुयी की अव इस संसार का क्या होगा लेकिन तभी उस राख के ढेर से आवाज़ आई की मुझे कुछ नहीं हुआ है बल्कि आपकी शक्ति से इस राख का निर्माण हुआ है और जहाँ निर्माण होता है वहां मैं होता है उसके बाद भगवान् विष्णु जी मुस्कुराए और शिवजी से कहने लगे कि आप अपनी शक्ति का इस्तेमाल मुझ पर भी करे मैं इस संसार का सरक्षक हूँ मैं भी ये जानना चाहता हूँ के आपकी शक्तियों का मुझ पर क्या असर पड़ता है तब शिवजी ने अपनी शक्तियों का पर्योग करते हुए भगवान् विष्णु को भी राख का देर बना दिया !
लेकिन उस राख के ढेर में से भी आवाज़ आई कि महादेव मैं भी यहीं पर हूँ मुझे भी कुछ नही हुआ कृपया अपनी सारी शक्तियों का पर्योग करें ! जिसके बाद उस राख का सारा ढेर गायव हो गया लेकिन उसमें से एक कण रह गया जिसमें से भगवान् विष्णु जी प्रकट हुए ! और ये साबित हो गया की भगवान विष्णु ही सबसे बड़े भगवान् है लेकिन इसके बाद शिब्जी ने सोचा की यदि में खुद का ही विनाश कर लू तो क्या ब्रह्मा और विष्णु का नाश होगा ! क्यूंकि यदि मैं यानि विनाश ही नहीं होगा तो रचना नही होगी और रचना नही होगी तो सरंक्षक की क्या जरुरत होगी !
भगवान् शिव का ये विचार भगवान् विष्णु जी जान चुके थे तभी भगवान शिवजी अपने आप को भस्म करके राख का ढेर हो जाते है और फिर उनके साथ बिलकुल वैसा हुआ जैसा उन्होंने सोचा था ! भगवान् विष्णु जी और ब्रह्मा जी दोनों भी उनके साथ राख का ढेर हो गए लेकिन तब सृष्टि में अँधेरा छा गया और केवल राख का ढेर ही नज़र आ रहा था ! तभी उस राख के ढेर में से आवाज़ आती है कि यहाँ पर राख का निर्माण हुआ है और जहाँ निर्माण होता है वहां मैं होता हूँ तभी उस राख के ढेर से ब्रह्मा जी निकले उसके बाद उसी ढेर से विष्णु जी निकले और फिर शिवजी ! क्यूंकि जहाँ रचना होगी वहां सरंक्षक होगा और जहाँ सरंक्षक होगा वहां विनाश जरुर होगा !
जिससे भगवान शिव को ये सावित हो गया कि त्रिदेवो की विनाश असंभव है ! इसलिए तीनो देव एक सामान है तीनो देव एक दुसरे से परस्पर जुड़े है इसीलिए इनकी तुलना करना व्यर्थ है !